स्वयंसेवकों ने चलाया स्वच्छता अभियान
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा मूल्यांकित संस्थान पहलवान गुरुदीन स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय पनारी ललितपुर में आज दिनांक 4 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रथम / द्वितीय इकाई द्वारा एक दिवसीय शिविर के अंतर्गत चौरी चौरा दिवस पर संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेविकाओं द्वारा महाविद्यालय परिसर में स्वच्छता अभियान के साथ- साथ उनकी सामाजिक जिम्मेदारियां जिसमें स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य शिविर, शैक्षिक आउटरीच कार्यक्रम और पर्यावरण संरक्षण परियोजनाओं जैसे दायित्वों का निर्वहन किया जाता है।
संगोष्ठी का शुभारंभ महाविद्यालय की प्रबंधक श्रीमती सितारा देवी ने छात्राओं को बताया कि चौरी चौरा की घटना 4 फरवरी 1922 को ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश ) के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुई थी । वहां पुलिस ने असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह पर गोलीबारी की । जवाबी कार्रवाई में, प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया और उसमें आग लगा दी, जिससे उसके सभी लोग मारे गए। इस घटना में तीन नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। इस घटना के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में महात्मा गांधी ने 12 फरवरी 1922 को राष्ट्रीय स्तर पर असहयोग आंदोलन को रोक दिया। ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों ने उन्नीस गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा और 14 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
प्राचार्य डॉ सूफिया ने छात्राओं को बताया कि 4 फरवरी को, लगभग 2,000 से 2,500 प्रदर्शनकारी इकट्ठे हुए और चौरी चौरा के बाजार की ओर मार्च करने लगे। वे गौरी बाज़ार शराब की दुकान पर धरना देने के लिए एकत्र हुए थे। जब प्रदर्शनकारी बाज़ार की ओर मार्च कर रहे थे, तो स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र पुलिस को भेजा गया, जो अंग्रेज़ विरोधी नारे लगा रहे थे। भीड़ को डराने और तितर-बितर करने के प्रयास में, गुप्तेश्वर सिंह ने अपने 15 स्थानीय पुलिस अधिकारियों को हवा में चेतावनी के तौर पर गोलियाँ चलाने का आदेश दिया। इससे भीड़ और भड़क गई और पुलिस पर पत्थर फेंकने लगी।
इस घटना के साथ-साथ स्वच्छता के महत्व को भी बताया एवं स्वच्छता का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
एनएसएस प्रथम इकाई कार्यक्रम अधिकारी डॉ वंदना याज्ञिक ने छात्राओं को बताया कि चौरी चौरा कांड 4 फ़रवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले के चौरी चौरा में हुआ था। यह घटना असहयोग आंदोलन के दौरान हुई थी। इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था। चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा था (वर्तमान में तहसील है) जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी। जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। इस घटना का मुख्य उद्देश्य था भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों द्वारा जेल में बंद किए गए नेताओं के आजाद होने की मांग उठाना था। एनएसएस द्वितीय इकाई कार्यक्रम अधिकारी असि० प्रो० साधना नागल ने बताया कि इस हिंसा की घटना के बाद गांधी जी द्वारा 12 फरवरी 1922 ई0 को असहयोग आंदोलन वापस ले लिया गया था। गांधी के इस फैसले को लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में संलग्न लोगों का एक बड़ा समूह नाराज हो गया।
संगोष्ठी के पश्चात महाविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेविकाओं ने स्वच्छता अभियान की मुहिम छेडकर महाविद्यालय परिसर में स्वच्छता अभियान चलाया।
इस अवसर पर श्री प्रकाश खरे, असि० प्रो० प्रीति शुक्ला, असि० प्रो० साधना नागल, असि० प्रो० रंजना श्रीवास्तव, असि० प्रो० रत्ना याज्ञिक, असि०प्रो० सुषमा पटेल, असि० प्रो० नेहा याज्ञिक, असि० प्रो० आरती बुंदेला, श्रीमती रजनी यादव, पूजा सिंह, श्री राघवेंद्र सिंह, श्री दीपेंद्र यादव, श्री मुस्ताक खान, श्रीमती गेंदा, मालती राज, नेहा अहिरवार, मुजफ्फर अली, राम सहाय, विमला, तथा परमानंद,रामदेवी उपस्थित रहे।
आप नवीनतम अपडेट प्राप्त करने के लिए हमारे व्हाट्स एप चैनल https://whatsapp.com/channel/0029Va9lcjC3LdQamEa9mF0f या टेलीग्राम चैनल https://t.me/+-4PliPLFetkzOWE9 पर जुड़ सकते हैं....
कोई टिप्पणी नहीं