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The Academics News, ललितपुर । 
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा मूल्यांकित संस्थान पहलवान गुरुदीन स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय पनारी ललितपुर में *महिला महाविद्यालय के झलकारी बाई सभागार में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती दिनांक 23/01/2025 को राष्ट्रीय पराक्रम दिवस के रूप मनाई गई तथा साथ ही मानव श्रृंखला/शपथ समारोह एवं संगोष्ठी का आयोजन रोड सेफ्टी क्लब द्वारा किया गया*। 
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्रबंधक श्रीमती सितारा देवी, अध्यक्ष श्रीमती कंचन लता यादव, प्रबंध निर्देशिका डॉक्टर पूजा यादव, प्राचार्य डॉ सूफिया, एनसीसी डॉ वंदना याज्ञिक ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्पार्पण कर किया गया। 

कार्यक्रम में रोड सेफ्टी क्लब/एनएसएस/एनसीसी /रोवर रेंजर्स /उन्नत भारत के वालंटियर एवं अन्य पाठ्यक्रमों में अध्यनरत छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
  महाविद्यालय की प्रबंधक श्रीमती सितारा देवी ने छात्राओं को बताया कि पराक्रम दिवस हर साल 23 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को समर्पित है। इसका उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करना और देशभक्ति की भावना को जागृत करना है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना एक अलग स्थान है, उनके योगदानों तथा बलिदानों का स्थान और कोई नहीं ले सकता है, ऐशों आराम की जिंदगी को छोड़कर माँ भारती के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले इस वीर सपूत के याद में तथा उनको सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन, 23 जनवरी को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की है।

 प्रबंध निर्देशिका डॉक्टर पूजा यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जितनी बहादुरी और जिस अंदाज से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी, उसे हर भारतीय याद करता है। यही वजह है कि भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस घोषित कर रखा है। उन्हें अपने दमदार और करिश्माई नेतृत्व से युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में कूदने के लिए प्रेरित किया। वे भारत माता के एक सच्चे और बहादुर पुत्र थे, जो सैन्य विद्रोह के माध्यम से ब्रिटिश शासन को भारत से जड़ से उखाड़ कर फेंक देना चाहते थे। उनके दिए 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा!' व 'जय हिन्द' जैसे नारे आज भी युवाओं के दिलों और माहौल को देशभक्ति से भर देते हैं।
 महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर सूफिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि नेताजी ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास कर ली थी। वे चाहते तो जीवन भर आराम की नौकरी कर सकते थे। लेकिन इसे ठुकराकर उन्होंने अपना सारा जीवन भारत मां की सेवा में लगा दिया।
जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें कई बार जेल में डाला गया लेकिन देश को आजाद कराने का उनका निश्चय और दृढ़ होता चला गया। हिंसक कृत्यों में अपनी संदिग्ध भूमिका के लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया। 1941 में वह भेष बदलकर कोलकता से भाग गए और काबुल और मॉस्को होते हुए जर्मनी पहुंच गए।
जर्मन प्रायोजित आजाद हिंद रेडियो से जनवरी 1942 से अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, गुजराती और पश्तो में नियमित प्रसारण शुरू किया। अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।' उनका मानना था कि अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता नहीं पाई जा सकती। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। देश के ऐसे पराक्रम योद्धा को हम अपने हृदय में हमेशा शीर्ष स्थान प्रदान करते हैं और करते रहेंगे तथा नेताजी के त्याग को उनके बलिदान को हमारा भारत देश हमेशा स्नेह से स्मरण करते रहेंगे।
इस कार्यक्रम में एनसीसी कैप्टन गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ वंदना याज्ञिक, बीकॉम विभाग अध्यक्ष श्री प्रकाश खरे, प्राथमिक विद्यालय से उपस्थित श्री दिनेश राजपूत , श्री हरीश कुशवाहा, श्री शिशुपाल, श्री राजकुमार झा, श्री लखपति, श्री राजेश तिवारी, श्री बृजेंद्र तिवारी, श्री संदीप मिश्रा, श्रीमती अर्चना,असि. प्रो. प्रीति शुक्ला, एनएसएस द्वितीय इकाई कार्यक्रम अधिकारी असि. प्रो. साधना नागल, असि. प्रो.रंजना श्रीवास्तव असि.प्रो. बी.एड. विभागाध्यक्ष रत्ना याज्ञिक असि. प्रो. सुषमा पटेल, असि. असि. प्रो. आरती बुंदेला पुस्तकालयाध्यक्ष श्रीमती रजनी यादव, श्री राघवेंद्र सिंह, दीपेंद्र , संगणक अध्यक्ष श्री मुस्ताक खान, श्रीमती गेंदा, मालती राज, नेहा अहिरवार, श्रीमती विमला, श्री राम सहाय, श्री परमानंद एवं समस्त छात्राएं मौजूद रहीं।
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