जागरूकता से एड्स को हराया जा सकता है: डॉ. सुधा चौबे
संगोष्ठी को संबोधित करती डॉ. सुधा
झांसी। रेड रिबन क्लब राष्ट्रीय सेवा योजना
और मिशन शक्ति फेज पांच के संयुक्तवधान में आज ललित कला संस्थान में एड्स जागरूकता
में युवाओं की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य
स्वास्थ्य जागरूकता में युवाओं की भूमिका को निर्धारित करना है।
कार्यक्रम की मुख्य स्थिति डॉ. सुधा चौबे ने
कहा कि एड्स कोई बीमारी नहीं है। यह सभी बीमारियों की जड़ है। मेडिकल में इसके लिए
शोध किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक केवल इसको कुछ समय तक नियंत्रित करने का ही उपाय
मिला है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका जागरूकता है। युवा स्वयं जागरूक हों और
दूसरों को भी एड्स के प्रति जागरूक करें। उन्होंने कहा कि समाज में एड्स को लेकर
आज भी बहुत सी भ्रांतियां हैं और लोग इस पर बात भी नहीं करना चाहते हैं। लोग इसे
केवल असुरक्षित यौन संपर्क के कारण ही समझते हैं लेकिन इसके और भी कई कारण है जिन्हें
समाज को बताना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक समाज
को एड्स के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- एड्स जागरूकता में युवाओं की भूमिका विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी
- रेड रिबन क्लब राष्ट्रीय सेवा योजना और मिशन शक्ति फेज पांच ने एड्स जागरूकता पर आयोजित की संगोष्ठी
मुख्य वक्ता पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक
उमेश शुक्ल ने कहा कि कला और मीडिया के प्रयास से लोगों एड्स के प्रति जागरूकता आ
रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना रेड रिबन क्लब के साथ हर साल लोगों
को जागरूक कर रहा है। इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को चुप्पी तोड़ने और खुल कर
बोलने के लिए प्रेरित करना होगा। समाज जब इस विषय पर बात करने लगेगा तो आसानी है
एड्स को रोका जा सकता है।
संगोष्ठी की संयोजक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने
बताया कि एड्स दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में आज कुल 15
शोध पत्रों का वचन किया गया। शोध का विषय कला और युवा की एड्स जागरूकता में भूमिका
का चर्चा करना रहा। इस अवसर पर ललित कला संस्थान के शिक्षक डॉ. अंकिता शर्मा ने
एड्स की रोकथाम में युवाओं की भूमिका,
डॉ. रानी शर्मा ने एड्स जागरूकता: स्वस्थ
भविष्य के लिए युवा पीढ़ी का साथ,
दिलीप कुमार ने कला के माध्यम से एड्स के
प्रति जागरूकता: एक प्रभावशाली अध्ययन,
गजेंद्र सिंह ने एड्स जागरूकता में दृश्य
कला की महत्वपूर्ण भूमिका,
डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने विद्यार्थियों की
सामाजिक जिम्मेदारी और एड्स जागरूकता,
डॉ. संतोष कुमार ने एड्स की प्रासंगिकता और
दृश्य संप्रेषण की भूमिका ( जागरूकता और निदान), डॉ. बृजेश कुमार
ने एड्स जागरूकता एवं रोकथाम में युवाओं की भूमिका: मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स
के माध्यम से शोधार्थी रेखा आर्य ने
चित्रकला द्वारा एड्स जागरूकता एवं रोकथाम में युवाओं की भूमिका विषय पर शोध पत्र
प्रस्तुत किया। डॉ. उमेश कुमार,
सह आचार्य, जनसंचार एवं नवीन
मीडिया विभाग, जम्मू
केंद्रीय विश्वविद्यालय,
जम्मू और कश्मीर, डॉ.
अवधेश मिश्रा, सहायक
आचार्य, ललित
कला संस्थान, डॉ.
शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर
प्रदेश और डॉ. अरुणा एसोसिएट प्रोफेसर एवं
विभागाध्यक्ष चित्रकला विभाग,
शासकीय मानकुंवर बाई कला एवं वाणिज्य
महाविद्यालय जबलपुर (मध्यप्रदेश) ने ऑनलाइन माध्यम से अपने शोध पत्रों को प्रस्तुत
किया।
इस अवसर पर महारानी लक्ष्मीबाई महिला
महाविद्यालय झांसी की स्नातक छात्रा गौरी पाण्डेय, स्वामी विवेकानंद
महाविद्यालय झांसी की छात्रा अमरीना फातिमा,
खुशी,
मनीषा कुमारी, काजल राजपूत, शनाया, रिया
सिंह, खुशी
आनंद, अरीशा
खान एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी
उपस्थित रहे।
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